ज्ञानोदय़
काम करने का सबसे बडा पुरस्कार , अधिक काम करने का अवसर है ।(एड्वेर्ड साल्क)
स्वाभावीक मित्र भाग्य से ही मिलते हैं ।ऐसे मित्र विपत्ती में साथ नहीं छोड़ते ।(नारायण पंडित )
जीवन किसी को स्थायी संपत्ती के रूप में नहीं मिलाहै। (लुकीटस)
जो कमज़ोरे होता है वही सदा रोष करता है । हाथी चींटी से नहीं , चींटी-चींटी से द्वेष करती है ।(गांधिजी )
वास्तव में वे ही श्रेष्ट है , जिनके ह्रदय में सदा दया और धर्म बसता है । (मलूक दास )
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